सऊदी सरकार की आलोचना करने पर सिर्फ एक ही साल में 2000 से ज्यादा सऊदी धर्मगुरु,लेखक, मुफ़्ती, पत्रकार, वकील गिरफ्तार है. इन कैदियों के लिए आवाज़ उठाने वाली संगठन ने ट्विटर अकाउंट पर सऊदी सरकार द्वारा हिरासत में विद्वानों, बुद्धिजीवियों और कार्यकर्ताओं के नवीनतम आंकड़े जारी किए है.
मिडिल ईस्ट मॉनिटर के मुताबिक, सऊदी सरकार ने 60 धर्मगुरु और विद्वानों, 50 विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों और दस से अधिक वकीलों को गिरफ्तार कर लिया है. मानवाधिकारों की रक्षा के लिए अभी तक 20 मानव अधिकार कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि 25 पत्रकार और 40 लेखकों को हिरासत में रखा गया है, जबकि गिरफ्तार पीएचडी धारकों की संख्या 60 लोगों तक पहुंच गई है. इन सभी को बिना किसी जुर्म के हिरासत में रखा गया है.
The economist Essam Al-Zamil (#عصام_الزامل) is in jail with no charges since 12/09/2017 just because he tried to give advice for not selling #Aramco !! pic.twitter.com/fNspCIOBqu
— Prisoners of Conscie (@m3takl_en) May 12, 2018
वर्ल्ड न्यूज़ अरेबिया को मिली जानकारी के मुताबिक, सऊदी अधिकारियों ने ज्यादातर बंदियों के खिलाफ कोई आधिकारिक आरोप जारी नहीं किया है, लेकिन सऊदी शासन के करीब समाचार पत्रों और मीडिया आउटलेटों ने विदेशी दलों की ओर से काम करने और देश को नष्ट करने की मांग करने वाले बंदियों पर आरोप लगाया है.
जून 2017 में क्राउन प्रिंस पद लेने के बाद, सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और मध्यम प्रचारकों के खिलाफ बड़े पैमाने पर गिरफ्तार अभियान शुरू किया है. ह्यूमन राइट्स वॉच और एमनेस्टी इंटरनेशनल समेत अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार समूहों ने सऊदी अधिकारियों को तुरंत बंदियों के बारे में खुलासा करने की मांग की है, उन्हें अपने परिवारों और वकीलों से संपर्क करने और तुरंत उन्हें रिहा करने की भी मांग की है.